Saturday 18 July 2020

रिपोर्ट: बारिश में बढ़ सकता है कोरोना

डिजिटल डेस्क। मानसून के सीजन में कोरोना वायरस कैसा व्यवहार करेगा फिलहाल इस पर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। पहले भी दुनिया भर के नेता और वैज्ञानिकों केसमुदायों ने यह उम्मीद जताई थी कि गर्मी में इसका प्रकोप कम हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भारत में मई, जून के महीने में भी संक्रमण तेजी से बढ़ा। ऐसे कई वायरस हैं जो मौसमी होते हैं।
उदाहरण के तौर पर इंफ्लुएंजा सर्दी के मौसम अथवा कम तापमान में लोगों को अधिक प्रभावित करता है। मीजल्स, चिकन पॉक्स जैसी बीमारियां मौसमी उछाल के लिए जानी जाती हैं। रोटा वायरस में भी मौसमी बदलाव मिलते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को अधिकतर गर्मियों में डायरिया होता है। वास्तव में ऐसा क्यों होता है किसी को भी नहीं पता। हालांकि वायरल फैक्टर और होस्ट फैक्टर (भीड़भाड़, इम्युनिटी और लोगों के जीन) दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। मच्छरों से फैलने वाली बीमारी मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया आदि मानसून में फैलती हैं। ऐसा इनके मानसून में तेजी से पनपने के कारण होता है।
अहमदाबाद के रुमेटोलॉजिस्ट और क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. सपन सी पांड्या से जानिए कोरोनाकाल के मानसून में किन बातों का ध्यान रखें
3 कारण, जो बताते हैं बारिश में कोरोना बढ़ सकता है
  • बारिश के मौसम में नमी बढ़ती है। वायरस ज्यादा देर तक सक्रिय रहते हैं। बंद कमरे में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। आर्द्रता बढ़ने से एयरोसोल ट्रांसमिशन के लिए उपयुक्त परिस्थिति बन जाती है। ये जल्दी नष्ट भी नहीं हो पाते हैं।
  • बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के मरीज बढ़ जाते हैं। इनके शुरुआती लक्षण भी कोरोना के जैसे हो सकते हैं। ऐसे में घबराहट में यदि बढ़ी हुई संख्या में मरीज अस्पताल जाएंगे तो अस्पतालों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा।
  • कोरोना में मास्क को अहम माना गया है। बारिश में जो लोग टू-व्हीलर से सफर करते हैं या पैदल चलते हैं, उनके मास्क भीग सकते हैं। विशेषज्ञ सूखा मास्क लगाने को ही कहते हैं। दूसरी तरफ ह्यूमिडिटी में लंबे समय तक मास्क लगाना भी मुश्किल है।
3 फैक्टर पर संक्रामक बीमारी का फैलाव निर्भर करता है
पहला वातावरण में मौसमी बदलाव (तापमान,आर्द्रता और धूप), दूसरा ह्यूमन बिहेवियर पैटर्न में बदलाव और तीसरा वायरस के स्वाभाविक लक्षण जैसे संक्रमणता, उसकी रोगजनक क्षमता और सर्वाइवल।
आईआईटी की स्टडी में दावा, बारिश में बढ़ सकता है कोरोना
आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर अमित अग्रवाल और प्रोफेसर रजनीश भारद्वाज द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि मानसून में आर्द्रता बढ़ने के कारण कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। रिसर्च में बताया गया है कि गर्म और शुष्क मौसम में खांसने और छींकने से निकले ड्रॉपलेट्स जल्दी सूख जाते हैं। जबकि बारिश में यह ज्यादा देर तक संक्रामक बना रह सकता है। अध्ययन एक मार्च से 10 अप्रैल 2020 के बीच किया गया है। इसमें न्यूयॉर्क, शिकागो, मियामी, सिंगापुर, सिडनी और लॉस एंजिलिस के मरीजों के डेटा, इन 6 शहरों के तापमान, ह्यूमिडिटी आदि को आधार बनाया गया है।