धार्मिक कथाओं में ऐसी मान्यता है कि ग्रहण राहु और केतु नाम के अशुभ ग्रह के प्रभाव की वजह से होता है। चंद्रग्रहण के दौरान केतु चंद्रमा को ग्रसित कर लेता है जबकि सूर्य ग्रहण के दौरान राहु सूर्य को ग्रस लेता है। राहु और केतु एक असुर के शरीर के दो हिस्से हैं जिसे सागर मंथन से प्राप्त अमृत के बंटवारे के समय भगवान विष्णु ने छल करने के कारण अपने चक्र से काट दिया था। सूर्य और चंद्र ने ही भगवान विष्णु को असुर का भेद बता दिया था। सूर्य और चंद्रमा ये दोनों ही प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं जो ग्रहण दौरान पीड़ित होते हैं और इनकी किरणें मंद हो जाने से आसुरी शक्तियों का प्रभाव बढ जाता है यानी नकारात्मक ऊर्जा हावी होने लगती है इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह के लिए कुछ नियम और उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं।
ग्रहण के बाद स्नान जरूर करें
पुराणों में चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के बाद स्नान को बेहद आवश्यक बताया गया है। गुरुदेव योग वसिष्ठ ने लिखा है कि 'पुत्रजन्मनि यज्ञे च तथा सक्रमणे रवेः। रहोश्च दर्शने कार्य प्रशस्तं नान्यथा निशि।।' इसका अर्थ है कि यानी संतान के जन्म पर, यज्ञ, सूर्य और चंद्र संक्रांति यदि रात में भी हो तो स्नान करके शुद्ध होना चाहिए। ग्रहण के वक्त वातावरण में खतरनाक किरणों के प्रभाव से कुछ अशुद्धियां हो जाती हैं, इसलिए स्नान करना जरूरी माना जाता है। एक बात का ध्यान रखें कि स्नान कपड़े पहनकर करें। शास्त्रों में नग्न होकर स्नान करना वर्जित बताया गया है।
घर की साफ-सफाई
चंद्रग्रहण के बाद घर की साफ-सफाई करना बेहद जरूरी माना जाता है। ग्रहण के बाद घर में हर जगह गंगाजल का छिड़काव करें। साथ ही पूजा स्थल को भी पवित्र करें और सभी मूर्तियों पर गंगाजल छिड़कें। उसके बाद पूजा करें और फिर से चंदन का टीका भगवान को लगाएं। पूजा के बाद भोग भी लगाएं।
बचे हुए पके भोजन का क्या करें
चंद्रग्रहण के बाद रात के बचे हुए पके भोजन को न खाएं। आप चाहें तो इसे सुबह पशुओं को खिला सकते हैं। चंद्रग्रहण के वक्त घी या दूध से बनी चीजों में तुलसी के पत्ते डाल दें। ऐसा करने से आपको उन्हें फेंकना नहीं पड़ेगा। तुलसी में नकारात्मक शक्तियों को अवशोषित करने की क्षमता मानी जाती है। इस कारण ऐसा करना उचित माना जाता है।