Tuesday 26 May 2020

भोलेनाथ के इस चमत्कार को विज्ञान भी करता नमस्कार, जानिए कहां होता ऐसा ?

हमारा भारत देश शिवालयों का देश है। इन शिवालयों के अंदर भगवान शिव जी की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। वैसे तो अधिकतर शिवलिंग की स्थापना के पीछे कोई न कोई कथा (कहानी) अवश्य रही है। आज हम आपको एक ऐसे शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे है जहां पर प्रत्येक 12 वर्ष में बिजली गिरती है, जिस कारण इसे बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है।

कहां पर है बिजली महादेव का शिवालय

हिमचाल प्रदेश के कुल्लू नामक जगह पर ऊँची पहाड़ियों पर स्तिथ है ये मंदिर। साथ में ही पारवती और व्यास नदी का संगम है।

यहाँ की मान्यता ये है की जो यहाँ की विशालकाय घाटी है वो सांप के रूप में है जिसका वध स्वयं महादेव के द्वारा किया गया था हर 12 साल में भगवान् शिव की आज्ञा लेकर इन्द्र बिजली गिराते है जिसकी वजह से शिवलिंग खंडित हो जाता है उसके बाद इस खंडित शिवलिंग को वह के पुजारियों के द्वारा मक्खन से जोड़ा जाता है और ये पूजा का क्रम चलता रहता है।
एक पौराणिक कथा

एक बार की बात है इस कुल्लू घाटी में कुलान्त नाम का दैत्य रहता था वो बहुत ही मायावी था एक बार उसने व्यास नदी को रोककर सभी जीवो को मारना चाहा ये सब देख कर महादेव को बिलकुल अच्छा नहीं लगा और उन्होंने इस दैत्य को मारने का पूरा मन बना लिया था।

इसके बाद भगवान् शिव जी ने एक माया रची और उसी माया के अनुसार शिव जी उस दैत्य के पास गए और उसे कहा की आपकी पूँछ में आग लग गई है जैसे ही वो अपनी पूँछ की आग देखने के लिए पीछे पलटे भगवन शिव जी ने अपने त्रिशूल से उसके सर पर वार कर दिया और इस तरह कुलान्त मारा गया उसमे विशालकाय शरीर एक पहाड़ में तब्दील हो गया जो आज कुल्लू के पहाड़ो के नाम से जाना जाता है।

क्यों गिरती है बिजली और कौन गिराता है

जब शिव जी ने कुलान्त दैत्य को मार दिया था उसके बाद स्वयं भगवन शिव जी ने इन्द्र को कहा की वो हर 12 साल बाद यहाँ बिजली गिराए, बिजली गिरने से शिवलिंग टूट जाता है और फिर पुजारी इसको मक्खन से ठीक कर देते है जो दिन पर दिन कठोर हो जाता है

बिजली शिवलिंग पर हे क्यों गिरती है कहा जाता है की जान धन की हानि ना हो इसीलिए महादेव इस बिजली को स्वयं अपने ऊपर ले लेते है और इस बिजली के झटके को सहते है इससे वो अपने भक्तो की रक्षा करते है।

भादो के महीने में यहाँ एक बहुत हे बड़ा मेला लागत है और यहाँ बिजली महादेव के दर्शन हेतु बहुत सारे भक्त आते है। सर्दी के महीनो में यहाँ बहुत बर्फबारी होती है कुल्लू घाटी की ऊंचाई समुद्र स्तर से 2450 है।