Saturday 25 April 2020

थूक-पसीने से ही गेंद को चमकाने के पक्ष में नेहरा और भज्जी, बताया वैसलीन काम क्यों नहीं आएगी


ICC जहां कोविड-19 महामारी के बाद वायरस को फैलने से रोकने के लिए गेंद पर कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल को वैध करने पर विचार कर रही है, वहीं भारत के कुछ क्रिकेटर्स का मानना है कि थूक और पसीना ऐसी चीजें हैं जिन्हें पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता। पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा और स्पिनर हरभजन सिंह को लगता है कि गेंद को चमकाने के लिए थूक का इस्तेमाल 'जरूरी' है।
पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा हालांकि इस विचार से सहमत हैं, लेकिन वह जानना चाहते हैं कि सीमा कहां तक होगी। चर्चाएं हालांकि शुरुआती चरण में हैं, लेकिन सवाल पूछे जा रहे हैं कि अगर गेंद से छेड़छाड़ को वैध किया जाता है तो कौन से कृत्रिम पदार्थों का इस्तेमाल किया जा सकता है। तो क्या यह जेब में रखा बोतल का ढक्कन होगा जिससे गेंद की एक तरह को खुरचा जा सके या फिर गेंद को चमकाने के लिए वैसलीन या फिर चेन जिपर का इस्तेमाल होगा?
नेहरा ने कृत्रिम पदार्थों के इस्तेमाल के विचार को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा, 'एक बात ध्यान रखिए, अगर आप गेंद पर थूक या पसीना नहीं लगाएंगे तो गेंद स्विंग नहीं करेगी। यह स्विंग गेंदबाजी की सबसे अहम चीज है। जैसे ही गेंद एक तरफ से खुरच जाती है तो दूसरी तरफ से पसीना और थूक लगाना पड़ता है।' उन्होंने फिर समझाया कि कैसे वैसलीन से तेज गेंदबाजों की मदद नहीं हो सकती।
नेहरा ने कहा, 'अब समझिए कि थूक की जरूरत क्यों पड़ती है? पसीना थूक से ज्यादा भारी होता है, लेकिन दोनों मिलाकर इतने भारी होते हैं कि ये रिवर्स स्विंग के लिए गेंद की एक तरफ को भारी बनाते हैं। वैसलीन इसके बाद ही इस्तेमाल की जा सकती है, इनसे पहले नहीं। क्योंकि यह हल्की होती है, यह गेंद को चमका तो सकती है लेकिन गेंद को भारी नहीं बना सकती।'
हरभजन भी इस बात से सहमत थे कि थूक ज्यादा भारी होता है और अगर किसी ने 'मिंट' चबाई हो तो यह और ज्यादा भारी हो जाता है, क्योंकि इसमें शर्करा होती है। लेकिन जब कृत्रिम पदार्थ के इस्तेमाल की बात है तो वह जानना चाहते हैं कि इसके विकल्प क्या हैं। उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि 'मिंट' को मुंह में डाले बिना ही इस्तेमाल किया जाए। शर्करा के थूक में मिलने से यह गेंद को भारी बनाता है। खुरची हुई गेंद भी स्पिनरों के लिए अच्छी होती है जिससे इसे पकड़ना बेहतर होता जबकि चमकती हुई गेंद ऐसा नहीं कर सकती, लेकिन मेरा सवाल है कि अगर आप अनुमति देते हो तो इसकी सीमा क्या होगी?'

चोपड़ा ने कहा कि आईसीसी जब तक यह नहीं बताती कि कृत्रिम पदार्थ क्या होंगे, तब तक कुछ भी कहना बेकार है। उन्होंने कहा, 'मुझे हमेशा लगता है कि 'मिंट' के इस्तेमाल में समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन अब वे इसे भी अनुमति नहीं देना चाहते। लेकिन अगर आप नियम बदलोंगे तो फिर उन्हें नाखून और वैसलीन का इस्तेमाल करने दीजिए लेकिन यह सब कहां खत्म होगा, भगवान ही जानता है।'