Sunday 28 June 2020

लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग से इम्यूनिटी हो रही कमजोर, एक्सपर्ट की चेतावनी



कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी दुनिया में हथियार बनाया जा रहा है. एक्सपर्ट्स का भी दावा है कि वैक्सीन ना बनने तक वायरस की कड़ी तोड़ने का दूसरा कोई जरिया नहीं है. वहीं एक वैज्ञानिक ने लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के इम्यूनिटी पर बुरे असर को लेकर चेतावनी दी है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता ने बताया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए तीन महीने का लॉकडाउन लोगों की इम्यूनिटी के साथ समझौता है, जिसका बुरा असर आगे देखने को मिल सकता है. प्रोफेसर सुनेत्रा ने चेतावनी दी है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग कमजोर इम्यूनिटी का कारण बन सकते हैं.
उन्होंने कहा कि जरूरत से ज्यादा सोशल डिस्टेंसिंग भी अच्छी नहीं है. अगर लोग एक-दूसरे से घुलेंगे-मिलेंगे नहीं तो वो कीटाणुओं और विषाणुओं के संपर्क में नहीं आएंगे और इससे उसके शरीर में संक्रामक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने वाले एंटीबॉडी नहीं पैदा होंगे.
प्रोफेसर सुनेत्रा गुप्ता द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक, इंसानों की जिंदगी में अचानक आया सोशल डिस्टेंस वास्तव में भविष्य की संभावित महामारियों के खिलाफ शरीर की रक्षात्मक प्रणाली को विकसित नहीं होने देगा. रोगाणुओं के लगातार संपर्क में ना आने से शरीर बचाव की क्षमता को विकसित नहीं कर पाता है.
कई हेल्थ एक्सपर्ट्स पहले भी लॉकडाउन में लोगों की फिजिकल एक्टिविटी शून्य होने का ख़तरा जाहिर कर चुके हैं. इसका इम्यून सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ेगा, जिसके दम पर शरीर वायरस और रोगों से लड़ता है.
ब्रिटेन में इसे लेकर प्रोफेसर गुप्ता की टीम ने मार्च में एक मॉडल भी पेश किया था, जहां कोरोना वायरस ने पिछले साल दिसंबर में दस्तक दी थी. इन्होंने जांच की कि क्या कोरोना वायरस हर्ड इम्यूनिटी बनाने वाली आबादी के माध्यम से जल्दी फैलता है. उनका यह शोध प्रोफेसर नील फर्ग्युसन के एकदम विपरीत था जिन्होंने लॉकडाउन ना किए जाने पर 5,00,000 मौतों की भविष्यवाणी की थी.
सुनेत्रा गुप्ता के मॉडल के मुताबिक ब्रिटेन में बीते साल दिसंबर में ही कोरोना वायरस ने दस्तक दे दिया था. इससे कुछ लोगों में संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी भी बनने शुरू हो गए थे. लेकिन इंपीरियल कॉलेज के देश में कोरोना से 5 लाख से ज्यादा मौतों होने का अंदेशा जताने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी. नतीजा यह हुआ कि एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया कुछ लोगों तक सिमटकर रह गई.