विवाह से पहले जानें, कहां होगा आपके दूल्हे का घर
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
भारतीय परंपरा के अनुसार आज भी अधिकतर अरेंज मैरिज होती हैं। दूल्हा-दुल्हन के घर बारात लेकर जाता है और दुल्हन को ब्याह कर अपने घर ले जाता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंवारी लड़की विवाह से पहले जान सकती है, कहां होगा उसके दूल्हे का घर-
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भारतीय परंपरा के अनुसार आज भी अधिकतर अरेंज मैरिज होती हैं। दूल्हा-दुल्हन के घर बारात लेकर जाता है और दुल्हन को ब्याह कर अपने घर ले जाता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंवारी लड़की विवाह से पहले जान सकती है, कहां होगा उसके दूल्हे का घर-
PunjabKesari Know before marriage where will your grooms house
शुक्र से सप्तमेश की जो दिशा हो उसी दिशा में प्राय: वर का घर होता है जैसे शुक्र से सप्तम कन्या राशि का भाव हो तो सप्तमेश बुध हुआ, बुध की दिशा उत्तर है, अत: उत्तर दिशा की ओर विवाह की संभावना है।
यदि सप्तम स्थान में कोई ग्रह हो तो उस स्थान की राशि की जो दिशा हो अथवा सप्तम स्थान पर जिन ग्रहों की दृष्टि पड़ती हो उन ग्रहों की राशिस्थ दिशाओं में वर का घर समझना चाहिए।
ससुराल दूर होगी या निकट?
यदि सप्तम भाव में स्थिर राशि हो तो कन्या या वर का घर दूर नहीं होता। अर्थात ससुराल निकट ही है, ऐसा समझना चाहिए। सप्तम भाव में चर राशि होने पर ससुराल दूर होती है।
सप्तमेश या सप्तम भाव के कारण गुरु क्रूर ग्रह से युक्त होकर नौंवें अथवा पांचवें भाव में गया हो तो दूर देश में विवाह होता है।
यदि पतिकारक (गुरु) पाप ग्रह से युक्त होकर द्वितीय स्थान में अथवा दशम स्थान में हो तो दूर देश में विवाह समझना चाहिए।
यदि दशम, द्वितीय, नवम या सप्तम भाव पाप ग्रह से युक्त हो और उक्त भावों में पाप ग्रह का नवांश हो या पाप ग्रहों से दुष्ट हो तो दूर देश में विवाह होगा।
रवि, चंद्र, शुक्र व सप्तमेश आदि जन्म कुंडली में लग्र से सप्तम भाव तक स्थित हों तो वर का घर कन्या के निवास स्थान से दूर नहीं होता परन्तु 8 से 12वें भाव में यह ग्रह स्थित हो तो स्थान का दूर होना निश्चित है।
इसी प्रकार रवि, चंद्र, शुक्र व सप्तमेश लग्र से चतुर्थ भाव तक स्थित हो तो उसी शहर में वर-वधू का स्थान समझना चाहिए।