Saturday 11 July 2020

रंग लाई मेहनत: 13 की उम्र में खोए पैर लेकिन नहीं मानी हार, अब ऑक्सफोर्ड में जा रही पढ़ने


कहते हैं हौंसले व जज्बे के आगे तो मुसीबतें भी हार मान जाती है। दिल्ली की प्रतिष्ठा देवेश्वर पर यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने जा रही है। 13 साल की उम्र में पैर खो चुकी प्रतिष्ठा ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं मानी और अपने इसी हौंसले के बल पर वह अपना सपना पूरा करने जा रही है।

ऑक्सफोर्ड से डिग्री लेने वाली पहली भारतीय लड़की

दरअसल, दिल्ली की रहने वाली प्रतिष्ठा दिल्ली श्रीराम वुमन कॉलेज में पढ़ती है। बचपन से मेहनती प्रतिष्ठा का सिलेक्शन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हो गया है, जहां वो पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई करेंगी। प्रतिष्ठा व्हीलचेयर यूज करने वाली पहली ऐसी भारतीय लड़की है, जो ऑक्सफोर्ड में डिग्री हासिल करेंगी।

एक्सीडेंट में खोए पैर

प्रतिष्ठा 13 साल की थी, जब होशियारपुर से चंडीगढ़ आते समय उनका एक्सीडेंट हो गया। घायल अवस्था में उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टन ने उनका तुरंत ऑपरेशन करने को कहा। पहले तो उन्होंने ऑपरेशन से मना कर दिया लेकिन बहुत मनाने पर वह मान गई। ऑपरेशन से उनकी जान तो बचा ली गई लेकिन रीढ़ की हड्डी में चोट लगने की वजह से उन्हें अपने गवानें पड़े और वह पैरालिसिस हो गईं।

3 साल तक बिस्तर पर रही प्रतिष्ठा

ऑपरेशन के दौरान उन्हें 4 महीने आईसीयू और 3 साल बिस्तर पर गुजारने पड़े। यही नहीं, उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई भी घर से ही और 90% मार्क्स प्राप्त किए। अपनी शारिरिक कमजोरी को उन्होंने कभी भी पढ़ाई पर भारी नहीं पड़ने दिया।

घर की चारदिवारी से निकलना चाहती थी प्रतिष्ठा

वह घर से बाहर कदम रखना चाहती थी इसलिए उन्होंने 12वीं के बाद दिल्ली के वुमन श्रीराम कॉलेज में एडमिशन ली। कॉलेज से उन्हें बहुत हौंसला मिला और उन्होंने अपनें साथ दूसरी लड़कियों के लिए भी आवाज उठाना शुरू किया।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहती थी प्रतिष्ठा

जब उनका हौंसला बढ़ा तो उन्होंने सबसे फेमस ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने की ठानी और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। आज वह अपनी मेहनत और हौंसले के बल पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने जा रही है।

विकलांगों की करना चाहती है मदद

क्योंकि प्रतिष्ठा खुद चल नहीं सकती इसलिए वह पैरालिसिस लोगों का दुख अच्छी तरह जानती है। वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल कर करीब 2 करोड़, 68 लाख विकलांग भारतीय लोगों की मदद करना चाहती है। वह ऐसे लोगों को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाना चाहती है, ताकि उन्हें किसी पर निर्भर ना होना पड़े।
प्रतिष्ठा ने साबित कर दिया कि अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो एक एक्सीडेंट किसी को उड़ने से नहीं रोक सकता।