Friday 19 June 2020

World Sickle Cell Day : क्या है सिकल सेल बीमारी, कहीं आप में भी तो नजर नहीं आते ये लक्षण


साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार वर्ल्ड सिकल सेल डे (World Sickle Cell Day) मनाने की शुरुआत की थी ताकि इस बीमारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचान मिल सके. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक रूप से 19 जून को वर्ल्ड सिकल सेल जागरूकता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया. सिकल सेल बीमारी सामान्य रूप से उन लोगों में देखने को मिलती है जो अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, कैरिबियन द्वीप, मध्य अमेरिका, सऊदी अरब, भारत और भूमध्यसागरीय देशों जैसे- तुर्की, ग्रीस और इटली में रहते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो हर साल करीब 3 लाख से अधिक बच्चे हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) बीमारी के गंभीर रूपों के साथ पैदा होते हैं जिसमें थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी शामिल है. दुनिया की करीब 5 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो सिकल सेल बीमारी की स्वस्थ वाहक (हेल्दी कैरियर) है.

क्या है सिकल सेल बीमारी?
सिकल सेल खून से जुड़ी बीमारी है जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं (rbc) को प्रभावित करती है और यह आमतौर पर माता-पिता से बच्चों में वंशानुगत मिलती है. आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन होता है लेकिन जिन लोगों को सिकल सेल बीमारी होती है उनकी लाल रक्त कोशिकाओं में ज्यादातर हीमोग्लोबिन एस होता है जो कि हीमोग्लोबिन का असामान्य प्रकार है. इस कारण लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है और वे सिकल शेप (अर्धचन्द्राकार आकार) के बन जाते हैं. चूंकि सिकल के आकार वाली ये लाल रक्त कोशिकाएं छोटी-छोटी रक्त धमनियों से गुजर नहीं पातीं इसलिए शरीर के उन हिस्सों में बेहद कम खून पहुंचता है. जब शरीर के किसी ऊतक तक सामान्य खून नहीं पहुंचता तो वह हिस्सा क्षतिग्रस्त होने लगता है.

क्या सिकल आकार के रक्त कोशिकाओं वाला व्यक्ति अपनी ही बीमारी से अनजान हो सकता है?जिस व्यक्ति को सिकल सेल बीमारी होती है उसमें तो बीमारी के लक्षण दिखते हैं लेकिन सिकल सेल विशेषता वाले व्यक्ति में कोई लक्षण नजर नहीं आते. सिकल सेल विशेषता या trait एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने माता-पिता में से किसी एक से पैतृक रूप से यह सिकल सेल जीन प्राप्त होता है लेकिन बीमारी नहीं मिलती. ऐसे व्यक्ति स्वस्थ जीवन जीता है. लेकिन अगर उनके जीवनसाथी को भी सिकल सेल ट्रेट हो तो उनके बच्चे को सिकल सेल बीमारी होने का खतरा अधिक होता है.

सिकल सेल बीमारी के लक्षण
सिकल सेल बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के 5 या 6 महीने के बाद से ही दिखने शुरू हो जाते हैं. इस बीमारी के सामान्य संकेतों और लक्षणों में ये चीजें शामिल हैं- शरीर में दर्द और कई बार बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, एनीमिया, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों को नुकसान और प्यूबर्टी या प्रौढ़ता आने में देरी.

सिकल सेल बीमारी कितने तरह की होती है?
सिकल सेल बीमारी मुख्य रूप से 4 तरह की होती है:

  • सिकल सेल एनीमिया

  • सिकल हीमोग्लोबिन-सी डिजीज

  • सिकल बीटा-प्लस थैलसीमिया

  • सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया

सिकल सेल बीमारी का इलाज
अगर इस बीमारी का जल्द से जल्द डायग्नोसिस हो जाए और उचित चिकित्सीय देखभाल मिले तो सिकल सेल रोग को सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है. इस तरह के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद कुछ वैक्सीन दी जाती है जिसमें पेनीसीलियन प्रोफाइलैक्सिस और न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के लिए दिया जाने वाला टीका शामिल है. साथ ही में फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी. सिकल सेल बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जीवनभर चिकित्सीय सहायता की जरूरत होती है क्योंकि बीमारी के इलाज में एंटीबायोटिक्स, इंट्रावीनस फ्लूइड, नियमित रूप से खून चढ़ाना और कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है.