Thursday 25 June 2020

पतंजलि द्वारा तैयार कोरोनिल कोरोना वायरस से लड़ाई में कितनी हैं असरदार, आइये जानिए



पतंजलि द्वारा तैयार कोरोनिल कितनी प्रभावी है, इसकी जाँच का जिम्मा सरकार वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) व भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों को सौंप सकती है. सूत्रों ने यह आसार जाहीर की है.
कोरोना की दवा खोजने के लिए देश-विदेश में हजारों अनुसंधान हो रहे हैं. आयुष मंत्रालय ने भी देशी चिकित्सा पद्धतियों में ऐसे दावों की पड़ताल के लिए एक टास्क फोर्स गठित कर रखी है. कुछ समय पूर्व मंत्रालय ने शोधकर्ताओं एवं दवा कंपनियों से उन दवाओं का ब्यौरा मांगा था जो इसके इलाज में प्रभावी हो सकती हैं. मंत्रालय को हजारों प्रस्ताव मिले हैं. मंत्रालय के सूत्रों ने बोला कि इस प्रस्तावों की पड़ताल की जा रही है तथा योजना यह है कि यदि इनमें से अच्छा पाए गए तो उन्हें आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की कसौटी पर परखा जाएगा तथा उसमें पास होने पर ही किसी कोरोना के इलाज के लिए मंजूर किया जाएगा.
खुद आयुष मंत्रालय कम से कम चार ऐसे आयुर्वेदिक फार्मूलों पर शोध कर रहा है जिसमें आईसीएमआर व सीएसआईआर के वैज्ञानिक भी शामिल हैं. आयुष मंत्रालय के सूत्रों ने बोला कि यदि कोई दावा कोरोना इलाज में प्रभावी पाई जाती है तो इससे बड़ी उपलब्धि व क्या होगी. यह दवा हिंदुस्तान के लिए ही नहीं पूरी संसार के लिए उपयोगी होगी. लेकिन उसके परीक्षण सीएसआईआर अथवा आईसीएमआर की प्रयोगशालाओं में किए जाने महत्वपूर्ण है. घटकों आदि के अध्ययन के बाद यदि ठीक नतीजे निकलते हैं तो इसके बड़े पैमाने पर विभिन्न अस्पतालों में बहुकेंद्रीय क्लिनिकल ट्रायल कराए जा सकते हैं. दरअसल, पतांजलि ने जो ब्यौरा मंत्रालय को दिया है उसमें 120 बिना लक्षण, हल्के लक्षण या मध्यम लक्षणों वाले रोगियों पर ही दवा का परीक्षण किया गया है. वह भी सिर्फ एक केन्द्र पर.