Saturday 20 June 2020

रोहिणी व्रत: जानें-वासुपूज्य स्वामी की पूजा-विधि और व्रत महत्व



धार्मिक ग्रंथों के अनुसार 27 नक्षत्र हैं। इनमें एक नक्षत्र रोहिणी है। यह नक्षत्र हर महीने के 27 वें दिन पड़ता है। जून महीने में रोहिणी व्रत 20 जून को है।
इस दिन जैन धर्म के अनुयायी वासुपूज्य स्वामी के निमित्त व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। खासकर विवाहित स्त्रियां अखंड सुहाग और पति के दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं।
इस व्रत का पुण्य फल वट सावित्री के समतुल्य होता है। जैन धर्म में मत है कि इस व्रत को पुरुष और स्त्रियां दोनों कर सकते हैं। स्त्रियों के लिए यह व्रत अनिवार्य है।
इस व्रत को कम से 5 महीने और अधिकतम 5 साल तक करना चाहिए। आइए, व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व जानते हैं-
रोहिणी व्रत पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान से निवृत होकर व्रत संकल्प लें। इसके बाद आमचन कर अपने आप को शुद्ध करें। अब सबसे पहले भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें।
तत्पश्चात, भगवान वासुपूज्य स्वामी की प्राण प्रतिष्ठा कर उनकी पूजा फल, फूल, दूर्वा आदि से करें। दिन भर उपवास रखें। सूर्योदय से पूर्व-पूजा और प्रार्थना कर फलाहार करें।
जैन धर्म में रात्रि के समय भोजन करने की मनाही है। अतः इस व्रत को करने समय फलाहार सूर्यास्त से पूर्व कर लेना चाहिए। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।