
बॉलीवुड में विलेन्स की बात आते ही सबसे पहला नाम जहन में अमरीश पुरी का आता है। अमरीश पुरी ने अपने दमदार एक्टिंग से बॉलीवुड को एक शानदार विलेन देने का काम किया था। एक्टर अमरीश पुरी का 22 जून 1932 को जन्म हुआ था। अब भले ही वह हमारे बीच नहीं रहे हों, लेकिन अपने फिल्मों के जरिए वह हमेशा फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगे।
मिस्टर इंडिया के मोगैंबो से लेकर तहलका के डोंग तक अमरीश पुरी ने कई यादगार रोल निभाए हैं। फिल्म में बतौर विलेन गहरी छाप छोड़ने वाले अमरीश पुरी के लिए बॉलीवुड में एंट्री पाना कतई आसान नहीं था। पंडित सत्यदेव दुबे जैसे निर्देशकों के मार्गदर्शन में उन्होंने पचास से अधिक नाटकों में काम कर रंगकर्म के क्षेत्र में अपने को स्थापित किया। 1954 में उन्होंने फिल्मों में किस्मत आजमाने की कोशिश की थी, लेकिन फिल्म निर्माताओं ने 'क्रूड एंड हार्श फेस' कहकर उन्हें ठुकरा दिया। अमरीश ने थिएटर कर तथा विज्ञापनों में अपनी आवाज देकर संघर्ष जारी रखा।
21 साल तक बीमा कंपनी में किया काम
अमरीश पुरी ने अपनी जिंदगी के 21 साल बीमा कंपनी में काम किया था। इस दौरान उन्होंने 21 साल तक कोई दूसरी नौकरी नहीं की थी। अपने जीवन का एक हिस्सा सरकारी नौकरी को देने के बाद शायद ही अमरीश पुरी ने सोचा होगा कि वह बॉलीवुड के स्टार बन जाएंगे। अमरीश को एक्टिंग का शौक तो था , लेकिन मौके नहीं मिल पाने के कारण वह अपने हुनर को लोगों के सामने नहीं ला पा रहे थे।
देर से ही सही पर फिल्मों में मिली एंट्री
जब अमरीश की उम्र चालीस की हो गई, तब उन्हें फिल्मों के ऑफर मिले। इस उम्र तक आते-आते कई कलाकार यह कहते पाए जाते हैं कि उनके खाते में दो दशक का अनुभव और फिल्में हैं। मगर किसे पता था कि कुछ बरस बीत जाने के बाद यही अभिनेता अपने मनपसंद रोल करेगा और खलनायकी की सबसे अधिक कीमत वसूलेगा। उन्होंने 40 पर जो कमाल किया वो आज भी कोई विलेन नहीं कर सकता है।
दर्शकों को हंसाने में भी सफल रहे अमरीश पुरी
कुछ फिल्मों में अमरीश को पॉजिटिव रोल करने के मौके भी मिले। प्रियदर्शन की फिल्म मुस्कराहट में एक झक्की जज के रोल को उन्होंने कुछ इस अंदाज में जिया कि पूरी फिल्म में दर्शक मुस्कराते रहे। राजकुमार संतोषी की फिल्म 'घातक' में भी बीमार पिता का रोल उन्होंने बखूबी निभाया। फूल और कांटे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, राम लखन, सौदागर, करण अर्जुन, घायल, गदर, दामिनी जैसी कई फिल्मों में उनकी मुख मुद्राएं, संवाद बोलने का अंदाज, बॉडी लैंग्वेज देखने लायक है। अमरीश का स्क्रीन प्रजेंस इतनी जबरदस्त होती थी कि दर्शक ठगे से रह जाते थे।