
चंडीगढ़। आगामी रविवार 21 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण प्रातः 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा और दोपहर 3 बजकर 05 मिनट तक रहेगा। यह अपने चरम पर 12:18 बजे के करीब रहेगा। इसकी समय सीमा कुल 3 घंटे 33 मिनट रहने की संभावना है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा।
क्यों पहले से भिन्न है यह ग्रहण ?
मत्स्य पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान, निकले अमृत को राहू- केतु ने छीन लिया था, तब से ग्रहण की कथा, इतिहास चला आ रहा है। आपको बता दें कि द्रौपदी के अपमान का दिन सूर्य ग्रहण का था। महाभारत का 14वां दिन, सूर्य ग्रहण का था और पूर्ण ग्रहण पर अंधेरा होने पर जयद्रथ का वध किया गया। जिस दिन श्री कृष्ण की द्वारिका डूबी वह भी, सूर्य ग्रहण का दिन था।
क्या 21 जून का सूर्य ग्रहण धरती को कंपाएगा, धमकाएगा, हिलाएगा,डराएगा या इससे भी कुछ अधिक कर सकता है ? इस बार एक साथ छ ग्रह वक्री रहेंगे, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु यह छह ग्रह 21 जून 2020 को वक्री रहेंगे। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है।
25 साल पहले घटित 1995 के ग्रहण के चलते दिन में ही अंधेरा छा गया था, पक्षी घोंसलों में लौट आए थे, हवा ठंडी हो गई थी। ग्रहण के दिन अशुभ गण्डयोग, पूर्णकाल सर्पयोग, मिथुन राशि से अष्टम में नीच राशिगत गुरू, वक्री शनि, इस तरह षडाष्टक अशुभयोग भी बन रहा।
भारत की कुण्डली में कालपुरूष का मुख स्थान यही है, जहां मिथुन राशि पर ग्रहण होगा, विषाणु व विस्तार का कारक राहु यहीं पर संस्थित है, कृपया सतर्क सचेत रहिये।
जिस तरह का यह ग्रहण है वैसा 900 साल बाद घटित होगा। कंकण आकृति ग्रहण होने के साथ ही यह ग्रहण रविवार को होने से और भी प्रभावी हो गया है। यह बहुत दुर्लभ है।
भारत का महा युद्ध
आज से 5000 साल पहले जब महाभारत के युद्ध का 14 वां दिन था, कुरुक्षेत्र के अलावा कई अन्य देशों में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था और दिन में ही अंधेरा छा गया था। इस दिन अर्जुन, अभिमन्यु के वध का बदला लेने की प्रतिज्ञा करते हैं। कोैरव जयद्रथ को छिपा देते हैं। पूर्ण ग्रहण के कारण अंधेरा छा जाता है। रात्रि के कारण युद्ध बंद हो जाता है जो वास्तव में रात नहीं थी । परंतु जैसे ही ग्रहण समाप्त होता है, उजाला होता है, श्री कृष्ण अर्जुन से जयद्रथ का वध करवा देते हैं।
वह भारत का महा युद्ध था, आज विश्व विश्व पटल पर, विश्व युद्ध जैसा वातावरण चल रहा है।
भारत में यह ग्रहण आंशिक रूप से नयी दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, कोलकाता, चंडीगढ़, बंगलौर, लखनऊ, चैन्नई जैसे कुछ प्रमुख शहरों में देखा जा सकता है. इसके अलावा यह नेपाल, यूऐई, पाकिस्तान, सऊदी अरब, एथोपिया और कोंगों जैसे देशों में भी दिखेगा।
आज से 5000 साल पहले जब महाभारत के युद्ध का 14 वां दिन था, कुरुक्षेत्र के अलावा कई अन्य देशों में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था और दिन में ही अंधेरा छा गया था। इस दिन अर्जुन, अभिमन्यु के वध का बदला लेने की प्रतिज्ञा करते हैं। कोैरव जयद्रथ को छिपा देते हैं। पूर्ण ग्रहण के कारण अंधेरा छा जाता है। रात्रि के कारण युद्ध बंद हो जाता है जो वास्तव में रात नहीं थी । परंतु जैसे ही ग्रहण समाप्त होता है, उजाला होता है, श्री कृष्ण अर्जुन से जयद्रथ का वध करवा देते हैं।
वह भारत का महा युद्ध था, आज विश्व विश्व पटल पर, विश्व युद्ध जैसा वातावरण चल रहा है।
भारत में यह ग्रहण आंशिक रूप से नयी दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, कोलकाता, चंडीगढ़, बंगलौर, लखनऊ, चैन्नई जैसे कुछ प्रमुख शहरों में देखा जा सकता है. इसके अलावा यह नेपाल, यूऐई, पाकिस्तान, सऊदी अरब, एथोपिया और कोंगों जैसे देशों में भी दिखेगा।
ग्रहण होने के 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक के समय को सामान्यता अशुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित होता है। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते है। ऐसे में पूजा, उपासना या देव दर्शन नहीं किए जाते हैं।
दिनांक 21 जून 2020 रविवार, आषाढ़ कृष्ण 30, मृगशिरा नक्षत्र, मिथुन राशि पर यह ग्रहण होगा। मृगशिरा के चतुर्थ चरण से आरम्भ हो आद्रा नक्षत्र जो कि राहु का नक्षत्र है समाप्त होगा। रविवार सूर्य का दिन।
मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल,आद्रा नक्षत्र पर राहु का आधिपत्य।और मिथुन राशि पर ग्रहण जिसका स्वामी बुध। इस तरह चार ग्रहों की युति मिथुन राशि पर सूर्य + चन्द्र + राहु + बुध, इन पर मंगल की दृष्टि, मंगल के नक्षत्र मृगशिरा से सूर्यग्रहण आरम्भ होगा।
एक साथ बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु यह छह ग्रह 21 जून 2020 को वक्री रहेंगे। इन छह ग्रह का वक्री होना यानी एक बड़ा तहलका मचाने वाला है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जा रहा है। यह ग्रहण अनिष्टकारी प्रतीत हो रहा है।
मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल,आद्रा नक्षत्र पर राहु का आधिपत्य।और मिथुन राशि पर ग्रहण जिसका स्वामी बुध। इस तरह चार ग्रहों की युति मिथुन राशि पर सूर्य + चन्द्र + राहु + बुध, इन पर मंगल की दृष्टि, मंगल के नक्षत्र मृगशिरा से सूर्यग्रहण आरम्भ होगा।
एक साथ बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु यह छह ग्रह 21 जून 2020 को वक्री रहेंगे। इन छह ग्रह का वक्री होना यानी एक बड़ा तहलका मचाने वाला है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जा रहा है। यह ग्रहण अनिष्टकारी प्रतीत हो रहा है।
सूर्य ग्रहण का समय
ग्रहण प्रारम्भ काल: 9:15
परमग्रास:12:10
ग्रहण समाप्ति काल:15:05
खण्डग्रास की अवधि: 03 घण्टे 28 मिनट्स 36 सेकण्ड्स
परमग्रास:12:10
ग्रहण समाप्ति काल:15:05
खण्डग्रास की अवधि: 03 घण्टे 28 मिनट्स 36 सेकण्ड्स
सूर्य ग्रहण का सूतक काल
सूतक प्रारम्भ: 21:52, जून 20
सूतक समाप्त: 15:05
सूतक प्रारम्भ: 21:52, जून 20
सूतक समाप्त: 15:05
इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चंद्र ग्रहण के मात्र 16 दिन बाद लग रहा है। आगामी 5 जुलाई को एक बार फिर से चंद्र ग्रहण लगेगा।इसके बाद मौजूदा वर्ष के अंत में एक और सूर्य ग्रहण होगा।
ग्रहण के दौरान सूर्य वलयाकार की स्थिति में केवल 30 सेकंड की अवधि तक ही रहेगा। इसके चलते सौर वैज्ञानिक इसे दुर्लभ बता रहे हैं। ग्रहण के दौरान सूर्य किसी छल्ले की भांति नजर आएगा। इस बार के सूर्यग्रहण में जो स्थिति बनने जा रही है, उसी ने इसे दुर्लभ ग्रहणों में शामिल किया है। सूर्य व चंद्रमा के बीच की दूरी ही इसकी खास वजह है।
सूरज के लॉकडाउन में चले जाने के कारण दुनियाभर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। इस दौरान सूरज के सतह पर सौर विकिरण में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है। वैज्ञानिकों ने इसे सोलर मिनिमम नाम दिया है। इसके प्रभाव से धरती पर भूकंप, ठंड और सूखे की आशंका बढ़ गई है।
ग्रहण के दौरान सूर्य वलयाकार की स्थिति में केवल 30 सेकंड की अवधि तक ही रहेगा। इसके चलते सौर वैज्ञानिक इसे दुर्लभ बता रहे हैं। ग्रहण के दौरान सूर्य किसी छल्ले की भांति नजर आएगा। इस बार के सूर्यग्रहण में जो स्थिति बनने जा रही है, उसी ने इसे दुर्लभ ग्रहणों में शामिल किया है। सूर्य व चंद्रमा के बीच की दूरी ही इसकी खास वजह है।
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