Saturday 6 June 2020

14 घंटे तक कराहती गर्भवती महिला अंत तब हुआ, जब एंबुलेंस में ही उसकी जान चली गई

14 घंटे तक कराहती गर्भवती महिला अंत तब हुआ, जब एंबुलेंस में ही उसकी जान चली गई
नई दिल्ली। नोएडा-गाजियाबाद के आठ अस्पतालों में एक बीमार गर्भवती 14 घंटे तक इलाज के लिए भटकती रही। कराहती महिला की पीड़ा का अंत तब हुआ, जब एंबुलेंस में ही उसकी जान चली गई। उसके साथ उस मासूम की जान भी चली गई , जिसने अभी दुनिया ही नहीं देखी थी।
खोड़ा के आजाद विहार में रहने वाली नीलम (30) का टाइफाइड का इलाज चल रहा था। शुक्रवार सुबह तबीयत खराब होने पर उसे नोएडा ईएसआईसी अस्पताल ले जाया गया। नीलम के पति विजेंद्र सिंह का कहना है कि वहां भर्ती न किए जाने पर पहले जिला अस्पताल और फिर फोर्टिस, जेपी, शारदा व ग्रेटर नोएडा के जिम्स ले गए, मगर इलाज नहीं मिला। वैशाली स्थित मैक्स से भी मायूसी मिली। तब तक नीलम जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही थी। इसके बाद परिजन दोबारा जिम्स की ओर चले, मगर इस बीच एंबुलेंस में उसकी सांसें टूट गईं।
एडीएम जांच करेंगे: गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एल.वाई ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। सीएमओ और एडीएम इसकी जांच करेंगे और दोषी पर कार्रवाई होगी। अस्पतालों को संवेदनशील होने की जरूरत है। मरीज को आपात स्थिति में इलाज मिलना चाहिए। सभी अस्पतालों को इस संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं।
किसी ने देखा तक नहीं: नीलम के पति विजेंद्र का आरोप है कि अस्पतालों ने भर्ती करने से ही इनकार कर दिया। पूरे दिन कोशिश के बाद भी पत्नी को न बचा सके  विजेंद्र ने कहा कि कोई देख लेता तो वह बच जाती। विजेंद्र के भाई शैलेंद्र के मुताबिक, जिम्स में एक चिकित्सक ने शव ले जाने के लिए उनकी मदद की और एंबुलेंस की व्यवस्था कराई। हालांकि, फोन करने पर सरकारी एंबुलेंस चार घंटे बाद आई।