Saturday 25 April 2020

Digital Prime Time : कभी नहीं टूटेंगे क्रिकेट की दुनिया के ये 5 रिकॉर्ड!


नई दिल्ली. खेल में कीर्तिमानों के बारें में अक्सर ये कहा जाता है कि रिकॉर्ड बनते ही हैं इसलिए कि वो कभी टूटेंगे. क्रिकेट (Cricket) के खेल के साथ भी यही बात लागू होती है. कई रिकॉर्ड्स ऐसे होते हैं जिनके बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि फलां रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाएगा. मसलन, कुछ साल पहले सचिन तेंदुलकर के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बनाए गए अनोखे सौ शतक का उदाहरण ले लें. सोचा ये गया था कि कोई इसके करीब भी नहीं पहुंचेगा लेकिन सिर्फ 6 साल बाद अब ऐसा लगता है कि विराट कोहली के लिए इस रिकॉर्ड को तोड़ना महज़ औपचारिकता भर ही है.

बावजूद इसके क्रिकेट में कुछ चुनिंदा रिकॉर्ड ऐसे भी हैं जो लगभग एक सदी से ज़्यादा समय से भी किसी की भी पहुंच से बाहर हैं. ऐसा लगता है कि इन रिकॉर्ड्स को शायद ही कोई भविष्य में भी चुनौती दे पाए.

1. 49 साल की उम्र में टेस्ट डेब्यू
जी हां, आज के दौर में ऐसा करना मुश्किल ही नहीं असंभव है. कोई भी खिलाड़ी 45 साल तक फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में सक्रिय नहीं होता है तो 49 साल में टेस्ट डेब्यू कैसे करेगा? 1877 में जब पहली बार इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट खेला था तो एक अंग्रेज़ खिलाड़ी की उम्र 49 साल 119 दिन थी. पिछले 30 सालों में साउथ अफ्रीका के ओमार हेनरी ही 40 साल की उम्र में पहला टेस्ट खेले औऱ उसकी वज़ह थी साउथ अफ्रीका का कई दशक के बाद टेस्ट क्रिकेट में लौटना.


2. 30 साल का टेस्ट करियर
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने किशोरावस्था में टेस्ट डेब्यू किया और 40 साल की उम्र तक टेस्ट खेले, फिर भी उनका करियर 24 साल का ही रहा था. अगर तेंदुलकर विल्फ्रेड रोड्स के 30 साल के टेस्ट करियर के रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाए तो शायद ही कोई और ये काम कर पाएगा. 58 टेस्ट खेलने वाले रोड्स की उम्र अपने आखिरी मैच में 53 साल थी जिसे कोई भी आधुनिक समय में तोड़ने की हिम्मत करता नजर नहीं आ रहा है! इसकी वजह है कि टी20 के दौर में वैसे भी टेस्ट कम होते जा रहें है और खिलाड़ी सबसे पहले किसी एक फॉर्मेट को बॉय-बॉय करते हैं तो वो टेस्ट फॉर्मेट ही है.

3. इकलौती टेस्ट 'डबल हैट्रिक'
टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेना कितना मुश्किल काम है ये इस बात से पता चलता है कि अब तक सिर्फ 44 गेंदबाज़ों ने ये कमाल दिखाया है. ऑस्ट्रेलिया के एच ट्रम्बल ने 2 बार हैट्रिक ली. वसीम अकरम ने तो एक कदम और आगे जाते हुए लगातार दो टेस्ट में हैट्रिक ली. लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के टी.जे. मैथ्यूज़ (TJ Mathews) ने न सिर्फ एक ही टेस्ट में दो हैट्रिक ली जो अपने आप में एक अद्भुत रिकॉर्ड है लेकिन उससे भी असंभव वाली बात है उनकी हैट्रिक भले ही दो अलग-अलग पारियों में लेकिन 1 ही दिन बनी! अब आप ही बतायें इतने इत्तेफाकों को एक साथ कोई हरा सकता है!



4. एक टेस्ट क्रिकेट में 19 विकेट
अनिल कुंबले ने जिम लेकर (Jim Lekar) के एक पारी में सभी 10 विकेट लेने के रिकॉर्ड की तो बराबरी कर ली लेकिन पूरे मैच में 19 विकेट हासिल करने के रिकॉर्ड के कोई करीब भी नहीं पहुंच पाया है. टेस्ट क्रिकेट तो दूर की बात, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में भी 18 विकेट तक पहुंचने का कमाल करीब 6 दशक पहले हुआ था. तो उम्मीद कर सकते हैं कि हमारे जीवनकाल में टेस्ट क्रिकेट में जिम लेकर के इस रिकॉर्ड की कोई बराबरी भी कर सकता है?



5. ब्रैडमैन के टेस्ट सीरीज़ में सबसे ज़्यादा रन का रिकॉर्ड
डॉन ब्रैडमैन (Don Bradman) का मतलब, 99.94 का अदभुत टेस्ट औसत जिसे शायद ही कोई तोड़ पाए. लेकिन, हम उस स्वाभाविक रिकॉर्ड की चर्चा न करके उस रिकॉर्ड की करते हैं जिस पर बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है. 1930 में एशेज़ सीरीज़ के दौरान ब्रैडमैन ने 974 रन बनाये थे जिसे तोड़ने के करीब भी कोई नहीं पहुंचा है. उसके बाद से एक सीरीज़ में 800 या उससे ज्यादा रन 7 बल्लेबाज़ों ने बनाए जिसमें से दो बार खुद ब्रैडमैन ही थे लेकिन वो भी अपने रिकॉर्ड को तोड़ने के करीब नहीं पहुंच पाये! आखिरी बार 1989 में मार्क टेलर के 839 रन एक सीरीज़ में 800 का आंकड़ा पार करने वाली सीरीज़ थी. पहली बात तो ये है कि अब 5 मैचों की टेस्ट सीरीज़ ही लगभग विलुप्त हो गई है और ऐसे में इस रिकॉर्ड को तोड़ने का मतलब है अर्जुन की भांति मछली की आंख में तीर भेदना!