नई दिल्ली। कोरोना वायरस देश में महामारी का रूप लेता जा रहा है। और ना सिर्फ देश में बल्कि सारी दुनिया आज इस कोरोना वायरस की महामारी से बना है। बिहार के छपरा के भेल्दी थाना के पैगा मित्रसेन गांव का है। इस गांव के रहने वाले बाबूलाल दास का पुत्र अजय कुमार उर्फ विवेक दास सात साल पहले अचानक ही लापता हो गया। परिजनों ने अजय की बहुत तलाश की लेकिन उसका कोई पता नहीं मिला जब दो-तीन साल बाद वह घर नहीं लौटा तो घरवालों ने ये मान लिया अजय अब इस दुनिया में नहीं है।
अजय को मरा जानकर परिवार वाले धीरे धीरे उसे भूल गया। परिवार वालों ने फिर उसकी तलाश बंद कर दी। लेकिन कहते हैं जाको राखे साईंया मार सके ना कोई। और इसी तर्ज पर अजय कुमार के साथ भी वाकया घटा। चलिए अब आपको बताते हैं कि अजय अपने परिवार से कैसे मिला। असल में उत्तर प्रदेश पुलिस एक युवक को लेकर भेल्दी थाना पहुंची और उसे अजय कुमार उर्फ विवेक दास बता कर उसके बारे में पूछताछ शुरू की।
भेल्दी थानाध्यक्ष विकास कुमार की ओर से मिली जानकारी के आधार पर यूपी पुलिस अजय को लेकर पैगा मित्रसेन गांव पहुंची। सुबह-सुबह गांव में पुलिस को देखते ही हड़कंप मच गया हालांकि बाबूलाल दास के परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यूपी पुलिस ने बताया कि घर से गायब होने के बाद अजय भटकते हुए यूपी के बाराबंकी चला गया था और वहां एक आपराधिक मामले में जेल चला गया और सजा काट रहा था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कोर्ट ने कुछ कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया जिसमें अजय कुमार दास का भी नाम भी शामिल था।
अजय कुमार से मिली जानकारी के आधार पर यूपी पुलिस उसे लेकर लेकर पैगा मित्रसेन गांव पहुंची और अजय को जिम्मेनामा पर उसके परिवार को सुपुर्द कर दिया। अजय को वापस पाकर इस घर में खुशियां लौट आई हैं। गांव वाले कह रहे कि अगर कोरोना नहीं आता तो शायद अजय कभी वापस नहीं लौटता क्योंकि उसकी जमानत कराने वाला बाराबंकी में कोई नहीं था और उसके बारे में घरवालों को भी कोई जानकारी नहीं थी। यानी एक तरह से देखा जाए तो परिवार के लिए मरा हुआ अजय 7 साल फिर जिंदा हो गया।