Saturday 28 March 2020

COVID-19: लॉकडाउन से प्रभावित सप्लाई संभाल रहे ठेले वालों पर कब होगी सरकार की कृपा?


नई दिल्ली. दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर (Delhi-UP Boarder) पर आनंद विहार (Anand Vihar) के पास एक छोटी सी शांत कॉलोनी है- कौशांबी (Kaushmbi). यह कॉलोनी कई सारी बहुमंजिला इमारतों का घर है. बहुमंजिला इमारतों का फैशन जब नोएडा (Noida) या गुरुग्राम पहुंचा, उससे बहुत पहले ही ये इमारतें यहां पहुंच चुकी थीं. इन इमारतों के कई सारे क्वार्टर भारतीय राजस्व सेवा, SAIL, HPCL, सरकारी बैंको, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड् और ऐसी ही प्रमुख संस्थाओं में काम करने वाले अधिकारियों के घर हैं, जो उनके व्यक्तिगत तौर पर बनाए गए अपार्टमेंट और बंगलों से अलग हैं.

यह टाउनशिप पिछले दिनों इसके एक टावर में COVID-19 संक्रमित एक मामला मिलने के चलते भी चर्चा में रही थीं और तभी से यह लॉकडाउन (Lockdown) में है. हालांकि गाजीपुर की सब्जी और मीट के थोक बाजार के बगल में होने के बाद भी, दोनों की ही सप्लाई (Supply) बहुत कम है. वहीं प्रोविजन स्टोर, जो कि उत्तर प्रदेश प्रशासन की लिस्ट में शामिल हैं, सप्लाई बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, पूरी तरह से खाली नहीं हैं फिर भी निश्चित रूप से लोगों को यहां से सामान लेने में मानसिक तौर पर परेशानी हो रही है.

कोई इन्हें कह रहा अन्नपूर्णा तो कोई बता रहा आखिरी चौकी पर डटा सैनिक
फिर भी यह बड़ी समस्या तब थोड़ी आसान हो गई जब कुछ पुराने ठेले वाले सड़कों पर दिखाई पड़ने लगे, जिनके पास सब्जियां और फल थे. इसके अलावा कॉलोनी के मडर डेरी बूथ के पास ब्रेड विक्रेता भी अपना मोर्चा संभाले हुए है. नवरात्रि (Navratri) की भावना को बनाए रखते हुए, एक बंगाली रहवासी ने उसे 'अन्नपूर्णा देवी' का अवतार बता दिया. एक अन्य केंद्रीय पुलिस विभाग के जुड़े निवासी ने उसे सुरक्षा के आखिरी मोर्चे पर डटा रहने वाला सैनिक बताया. यह पहले कि परिस्थितियों से बिल्कुल अलग है क्योंकि कभी इसी कॉलोनी के सुरक्षा गार्ड इन ठेलेवालों से छुट्टी पाने के लिए कड़ी मेहनत करते थे. अब सप्लाई चेन (Supply Chain) को बनाए रखने के लिए स्थानीय प्रशासन इन्हें एक क्रम में सामान बेचने की छूट दे रहा है.

केंद्र और राज्य सरकारों को इससे स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने की मिली होगी प्रेरणा
सभी ने इस कदम का स्वागत किया है क्योंकि पिछले कुछ समय में, जबसे सरकार ने महात्मा गांधी के जन्मदिन को स्वच्छ भारत अभियान (Clean India Mission) के तौर पर मनाने का निर्णय लिया था, इन ठेले वालों पर डंडे चले थे ताकि वे अपने ठेले यहां न लगाएं और सड़कों को कब्जा करने वालों से खाली कराया जा सके. COVID-19 लॉकडाउन ने जरूर इन ठेले वालों के प्रति प्रशासन के इस पूर्वाग्रह को खत्म किया होगा, और केंद्र और राज्य सरकारों को स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को लागू करने की प्रेरणा दी होगी. जिसे 2014 में मनमोहन सिंह सरकार ने बनाया और पास कराया था.

ओडिशा जैसे कुछ राज्यों के अपवाद को छोड़ दें तो इस कानून को लागू किए जाने की प्रक्रिया धीमी रही है. दूरदर्शी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा ऐसे कई कदमों को उठाने के मामले में पहला बन चुका है. राज्य ने डेडिकेटेड वेंडिंग जोन बना दिए हैं, और यह शहरों की वेंडिंग समितियों (Town vending committees- TVCs)से सलाह लेकर किया गया है.
Article Source: Dailyhunt