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निर्भया के चारों दोषियों को शुक्रवार को फांसी हो गई चारों दोषियों में बिहार के औरंगाबाद का अक्षय ठाकुर भी था अक्षय की पत्नी का कहना है कि अंतिम मुलाकात की उसकी ख्वाहिश हमेशा के लिए अधूरी रह गई अक्षय की पत्नी अपने 8 साल के बेटे के साथ तिहाड़ मिलने पहुंची थी, लेकिन देरी से पहुंचने के चलते जेल प्रशासन ने उन्हें मुलाकात नहीं करने दी |
अक्षय की फांसी की खबर मिलने के बाद उसकी पत्नी का रो रोकर बुरा हाल है पत्नी ने कहा, वे चले गए, लेकिन मैं अब पल पल मरूंगी अक्षय के परिजनों के भी आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे |
मेरी बात किसी ने नहीं सुनी
अक्षय की पत्नी ने मीडिया पर भी नाराजगी जताई उन्होंने रोकर कहा, सबने निर्भया की मां की सुनी मैं भी महिला हूं। लेकिन मेरी आवाज किसी ने नहीं सुनी |
ऐसा है गांव का हाल
अक्षय नवीनगर के लहंगकर्मा का रहने वाला था गांव में जहां उसके किए पर फांसी मिलने पर संतोष है लेकिन उसके परिवार के बारे में सोचकर दुख भी है गांव में अधिकतर गलियां वीरान पड़ी हैं लोग मीडिया को अक्षय के घर तक पहुंचने से रोक रहे हैं |
नौकरी नहीं मिली तो बस कंडक्टर बन गया
गांव वालों का कहना है कि अक्षय ऐसा लड़का नहीं था। घर की स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए दिल्ली में नौकरी करने गया था जब नौकरी नहीं मिली तो कंडक्टर का काम करने लगा जब गांव के लोगों को निर्भया मामले में शामिल होने का पता चला तो सब अचंभित रह गए |
निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड
16 दिसंबर, 2012 की रात में 23 साल की निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 6 लोगों ने दरिंदगी की थी इनमें अक्षय भी शामिल था साथ ही निर्भया के साथ बस में मौजूद दोस्त के साथ भी मारपीट की गई थी दोनों को चलती बस से फेंक कर दोषी फरार हो गए थे |
इसके बाद निर्भया का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चला था जहां से उसे सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया था 29 दिसंबर को निर्भया ने सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था |
कोर्ट ने 6 आरोपियों को दोषी ठहराया था एक नाबालिग था, जिसे 3 साल सुधारगृह में रहने के बाद छोड़ दिया गया वहीं, एक अन्य दोषी राम सिंह ने जेल में ही फांसी लगा ली चार दोषियों को 20 मार्च को फांसी दी गई |
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