Saturday 15 February 2020

आखिर रावण सीता स्वयंवर के धनुष को क्यों नहीं उठा पाया


त्रेता युग में राम और रावण का युद्ध हुआ था, जहां पर श्री राम ने रावण का वध किया और लंका का अधिपति रावण के भाई को सौंप कर, वापस अपने राज्य लौट आए। 

आखिर रावण सीता स्वयंवर के धनुष को क्यों नहीं उठा पाया
Third party image reference
लेकिन आपने गौर से देखा होगा की युद्ध से पहले भी रावण और श्रीराम का आमना-सामना हो चुका था और वह कहां हुआ था, तो जनकपुरी में।
जहां पर राजा जनक ने माता सीता के विवाह के लिए स्वयंवर रखा था, जिसमें भगवान शिव के धनुष को उठा कर, उस पर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले वीर पुरुष की माता सीता से शादी होती। 

Third party image reference
क्योंकि माता सीता ने छोटी सी उम्र में भगवान शिव के धनुष को उठा लिया था, जिसके बाद महाराज जनक ने मन ही मन यह तय कर लिया था, कि जो वीर पुरुष इस धनुष को उठा कर उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता की विवाह होगी।
कैलाश पर्वत को उठाने वाला रावण, आखिर में उस धनुष को क्यों नहीं उठा सका, इसके बारे में गीता में एक श्लोक के माध्यम से बताया गया है।

Third party image reference
जब भगवान राम के गुरु विश्वामित्र जी ने कहा- जाओ राम धनुष को उठाओ और जनक की पीड़ा दूर करो, इसी में एक शब्द है ‘भव चापा’ इसका मतलब होता है, इस धनुष को उठाने के लिए, सिर्फ शक्ति ही नहीं बल्कि प्रेम की आवश्यकता चाहिए।

Third party image reference
चुकी बलशाली रावण वहां के सभी राजाओं में बलशाली था, इसलिए वह वहां पर अहंकार के साथ बैठा था और अहंकार के साथ ही उसने उठाने की कोशिश की, जिसकी वजह से वह धनुष उससे हिल भी न सका।
आपको इन शब्दों से क्या सीख मिलती है, कमेंट करके अपनी राय दें, आर्टिकल पसंद आया तो लाइक, शेयर और ब्लॉग को फॉलो करें, ताजा खबरों के लिए।