भारत में एक से बढ़कर एक महान क्रिकेटर हुए हैं। जिन्होंने अपना और अपने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। उन्हीं में से एक है युवराज सिंह। युवराज सिंह ने भारतीय टीम को अकेले दम पर कई जीत दिला चुके हैं। टी-20 वर्ल्ड कप 2007 और वर्ल्ड कप 2011 का खिताब भारतीय टीम को जिताने में युवराज सिंह अहम योगदान रहा है। एक इंटरव्यू में हरभजन सिंह ने यहां तक कह दिया था कि अगर युवराज सिंह नहीं होते तो शायद भारतीय टीम वर्ल्ड कप नहीं जीत पाती।
वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में जब गौतम गंभीर 97 रन बनाकर आउट हुए। तब युवराज सिंह का क्रीज पर आगमन हुआ। जब वह क्रीज पर आए तब उनके आंकड़े साइड स्क्रीन पर दिखाए गए। युवराज सिंह 29 साल की उम्र में 274 मैचों में 8030 रन बना लिए थे। युवराज सिंह फाइनल में नाबाद रहते हुए भारत को जीत दिलाई और वर्ल्ड कप में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया। उस समययही लग रहा था कि आने वाले समय में युवराज सिंह कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे।
कैंसर ने बदल दी युवराज सिंह की जिंदगी
विश्व कप 2011 के के दौरान कई बार युवराज सिंह खांसते और खून की उल्टियां करते नजर आए। लेकिन उन्होंने इस तरफ ध्यान नहीं दिया बल्कि अपना पूरा ध्यान वर्ल्ड कप पर लगाया। लेकिन 2011 के अंत में यह समस्या ज्यादा बढ़ गई और इसके बाद फरवरी 2012 में पता चला कि युवराज सिंह को ब्रेन कैंसर है। युवराज सिंह ने इसका जमकर सामना किया और इस बीमारी से स्वस्थ होकर सितंबर 2012 में क्रिकेट मैदान पर वापसी की।
7 साल में खेले सिर्फ 30 वनडे मैच
युवराज सिंह साल 2012 के बाद संन्यास लेने से पहले तक 7 साल में सिर्फ 30 वनडे में से खेल सके। जिसमें साल 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ युवराज सिंह ने 127 गेंदों पर 150 रनों की पारी खेली थी।
युवराज तोड़ सकते थे सचिन का रिकॉर्ड
अगर अगर युवराज सिंह कैंसर से प्रभावित नहीं हुए होते, तो वह 450 से अधिक वनडे मैच खेल सकते थे और सचिन के 463 वनडे मैचों का रिकॉर्ड तोड़ सकते थे।
युवराज सिंह को उनके उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवार्ड और पद्मश्री की उपाधि दी गई। युवराज सिंह ने कैंसर के बाद वनडे टी-20 आईपीएल का सफल प्रतिनिधित्व किया जो एक बड़ी बात है।
युवराज सिंह युवीकैन के नाम से एक एनजीओ चलाते हैं जो कैंसर पीड़ित लोगों का मदद करती है। युवराज सिंह करोड़ों लोगों के प्रेरणा के स्रोत हैं।