नई दिल्ली- डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम खुद एक वैज्ञानिक थे। इसलिए उन्होंने साल 2020 तक के लिए भारत का जो विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया था, उसमें तकनीक पर आधारित भविष्य की ही कल्पना की गई थी। वे मानते थे कि तकनीक के जरिए 21वीं शताब्दी में कई तरह की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। उनके टेक्नोलॉजी विजन 2020 को आने वाले 20 वर्षों में भारत कम-विकसित देश से विकसित देश में बदलाव का रोड मैप माना गया। उनकी योजना के मुताबिक तकनीक के सहारे कृषि उत्पादन में इजाफे के साथ ही अर्थव्यस्था के विकास और स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर शिक्षा के दायरे के विस्तार में भी मदद मिल सकती है। आज हम कह सकते हैं कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में खासकर डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में हमने काफी सफलता हासिल भी की है।
Happy new year 2020: विकसित देश बनने की दौड़ में भारत के मुकाबले कहां खड़े हैं प्रतिद्वंदी देश?
आम नागरिकों के जीवन में डिजिटल इंडिया का योगदान
भारत सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय देश भर में 3,89,000 से ज्यादा कॉमन सर्विस सेंटर्स काम कर रहे हैं, जहां से कोई भी आदमी अपनी जरूरतों के हिसाब से सर्विस से जुड़े तरह-तरह के काम कर सकता है। यह शायद इसलिए संभव हो पा रहा है, क्योंकि देश के 1,29,973 ग्राम पंचायत आज ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जुड़ चुके हैं। डिजिटल इंडिया से आम नागरिकों को कितना फर्क पड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिर्फ पिछले करीब 5 वर्षों में ही उनके खातों में डिजिटल इंडिया के माध्यम से ही 86,84,42,30,00,000 रुपये का डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर हुआ है। डिजिटल इंडिया की वजह से लोगों के जीवन में कितना परिवर्तन आ रहा है, इसका एक उदाहरण ये भी है कि सिर्फ पिछले तीन वर्षों में ही यूपीआई के जरिए 12,39,78,35,000 से ज्यादा के डिजिटल ट्रांजैक्शन पूरे किए गए हैं।
डिजिटल इंडिया से काम हुआ आसान
आज देश के आम लोग किस तरह से डिजिटल इंडिया से जुड़ रहे हैं, इसकी एक बानगी ये भी है कि इस समय देश में 'स्वयं' पोर्टल और ऐप पर 23,66,000 रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। यह प्रोग्राम भारत सरकार की ओर से शिक्षा तक सबकी समान रूप से पहुंच और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है। यह देश के सभी वर्गों के स्टूडेंट्स के बीच मौजद डिजिटल डिवाइड को खत्म करने की मकसद से शुरू किया गया है। डिजिटल इंडिया का दायरा सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बढ़ा है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में भी योगदान कर रहा है। मसलन, देश के 1,65,53,909 से ज्यादा किसान अब तक ई-नाम प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं, जिसके जरिए वह अपने उत्पादों को घर बैठे ही राष्ट्रीय स्तर के बाजारों में बेच सकते हैं। इसी तरह सरकारी विभागों और मंत्रालयों में खरीद के लिए गवर्मेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) बना हुआ है, जिस पर अब तक 3,92,82,99,99,999 रुपये के ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
डिजिटल इंडिया में आगे का लक्ष्य
इसी तरह स्पेस टेक्नोलॉजी में भी भारत काफी आगे बढ़ा है और उसने एक साथ सबसे ज्यादा (104) सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजने का कीर्तिमान स्थापित किया है, जिसमें अमेरिका जैसे देश के भी सैटेलाइट शामिल हैं। माना जा रहा है कि 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो उसमें डिजिटल इकोनॉमी का योगदान उसका 5वां भाग यानि 1 ट्रिलियन डॉलर रहने वाला है। पूर्व राष्ट्रपति कलाम के विजन के मुताबिक योजना आयोग ने डिजिटल इंडिया की दिशा में अपना जो रोड मैप तैयार किया था, उसमें इस बात की कल्पना की गई थी कि देश के अधिकतर लोगों की पहुंच 2020 तक 3जी मोबाइल सेवाओं तक होगी। आज हम शायद उस कल्पना पर पूरी तरह खरे उतरे हैं या उससे भी आगे कदम बढ़ा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने ई-गवर्नेंस, डाटा एनालिटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जोर देना शुरू कर दिया है। सिटीजन-सेंट्रिक सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए एक लाख डिजिटल विलेज तैयार किए जा रहे हैं, जहां तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।