Tuesday 3 September 2019

चंद्रयान 2 मंजिल के करीब: बाबुल के घर से चांद के आंगन चली ‘दुल्हन’

भारत के चंद्रयान-2 ने अपने मिशन का एक और अहम पड़ाव पार कर लिया है. दरअसल 2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान-2 का लैंडर ‘विक्रम’ ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. इससे पहले 1 सितंबर को चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की 5वीं और अंतिम कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया था.
हाल ही में इसरो चीफ के. सिवन ने लैंडर और आर्बिटर के अलगाव को लेकर कहा था कि ये उस तरह होगा, जिस तरह कोई दुल्हन मायके से विदा होती है.
चंद्रयान-2 मिशन का सबसे चुनौतीपूर्ण चरण 7 सितंबर को आएगा. इस दिन लैंडर ‘विक्रम’ की चांद पर लैंडिंग होनी है. बता दें कि यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास होनी है.

 विक्रम’ लैंडर के चांद पर उतरने के बाद इसके अंदर से ‘प्रज्ञान’ रोवर बाहर निकलेगा और अपने 6 पहियों पर चलकर 1 चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर) तक एक्सपेरीमेंट करेगा.
बता दें कि ‘विक्रम’ लैंडर को एक चंद्र दिन तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. बात ‘प्रज्ञान’ रोवर की करें तो यह 500 मीटर तक चल सकता है और चलने के लिए सौर ऊर्जा को इस्तेमाल कर सकता है. यह सिर्फ लैंडर के साथ ही कम्युनिकेट कर सकता है.

 ऑर्बिटर चांद की कक्षा में चक्कर लगाकर अपने अध्ययन का काम करेगा. ऑर्बिटर एक साल तक अपने मिशन को अंजाम देता रहेगा.
लैंडर के चांद पर उतरने से पहले यह देखने के लिए तस्वीरें ली जाएंगी कि जहां ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराई जानी है, उस जगह पर कोई खतरा तो नहीं है.
बता दें कि भारत ने अपने हेवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (जीएसएलवी एमके 3) की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था. स्पेसक्राफ्ट के तीन सेगमेंट हैं-ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, 8 पेलोड्स), लैंडर 'विक्रम' (1,471 किलोग्राम, 3 पेलोड्स) और एक रोवर 'प्रज्ञान' (27 किलोग्राम, 2 पेलोड्स).