भांग में दो प्रकार के पौधे पाए जाते हैं एक नर्मदा और एक मादा पौधा भांग के नर पौधे के पत्ते और फल को सुखाकर भांग को तैयार किया जाता है। भांग को अगर दूध के साथ मिलाकर पिया जाए तो यह शरीर के लिए सिर्फ लाभदायक ही नहीं होता बल्कि यह शरीर को तेज प्रदान करता है।
अगर भांग को जल के साथ पीसकर छानकर पीने से आपको असिर्ण रोग से छुटकारा मिलता है जो एक बहुत ही हानिकारक रोग है। भांग को अगर गाय के घी के साथ मिलाकर पिया जाए तो यह वाक्-चातुर्यता को बढ़ावा देता है अर्थात या हमें बात करने की कला को और ज्यादा विकसित करता है।
भांग के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करने से अम्ल पित्त का क्षय होता है साथ ही साथ शूल पीड़ा को दूर करने बीकर में भी कारगर साबित होता है। सावन महीने में शिवलिंग के सामने भांग को पीने से शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है। ऐसा एक शक्ति स्वरुप में शिवजी के ऊपर लिखी किताब में बताया गया है।